aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ربڑ"
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रबक्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ साजो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रबमेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
होगा किसी दीवार के साए में पड़ा 'मीर'क्या रब्त मोहब्बत से उस आराम-तलब को
हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत हैइश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है
हुस्न ये है कि दिलरुबा हो तुमऐब ये है कि बेवफ़ा हो तुम
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'बाहर खुलने वाली खिड़की बंद पड़ी है
अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबामेरा तिरा मोआ'मला इश्क़ के बस का था नहीं
आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद हैराग है मय है चमन है दिलरुबा है दीद है
मोहब्बत बाँटना सीखो मोहब्बत है अता रब कीमोहब्बत बाँटने वाले तवील-उल-उम्र होते हैं
किसू से दिल नहीं मिलता है या रबहुआ था किस घड़ी उन से जुदा मैं
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रबऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता
किसी से फिर मैं क्या उम्मीद रक्खूँमिरी उम्मीद तो यारब तू ही है
दो ही दिन में ये सनम होश-रुबा होते हैंकल के तर्शे हुए बुत आज ख़ुदा होते हैं
बाक़ी न दिल में कोई भी या रब हवस रहेचौदह बरस के सिन में वो लाखों बरस रहे
क्यूँ न फ़िरदौस में दोज़ख़ को मिला लें यारबसैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही
है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या-रबहम ने दश्त-ए-इम्काँ को एक नक़्श-ए-पा पाया
गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रबतिरी निगाह-ए-करम को भी मुँह दिखाना था
वस्ल होता है जिन को दुनिया मेंयारब ऐसे भी लोग होते हैं
जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू कीलिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की
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