aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "روداد"
रूदाद-ए-ग़म-ए-उल्फ़त उन से हम क्या कहते क्यूँकर कहतेइक हर्फ़ न निकला होंटों से और आँख में आँसू आ भी गए
कहानी मेरी रूदाद-ए-जहाँ मालूम होती हैजो सुनता है उसी की दास्ताँ मालूम होती है
शाएरी तो वारदात-ए-क़ल्ब की रूदाद हैक़ाफ़िया-पैमाई को मैं शाएरी कैसे कहूँ
कोई पूछे तो सही हम से हमारी रूदादहम तो ख़ुद शौक़ में अफ़्साना बने बैठे हैं
मिरी रूदाद-ए-ग़म वो सुन रहे हैंतबस्सुम सा लबों पर आ रहा है
कही किसी से न रूदाद-ए-ज़िंदगी मैं नेगुज़ार देने की शय थी गुज़ार दी मैं ने
सुन के रूदाद-ए-अलम मेरी वो हँस कर बोलेऔर भी कोई फ़साना है तुम्हें याद कि बस
किसी ने हाल-ए-दिल पूछा तो आँखें हो गईं पुर-नमअब इस से मुख़्तसर रूदाद-ए-दिल कहते तो क्या कहते
आप शर्मा के न फ़रमाएँ हमें याद नहींग़ैर का ज़िक्र है ये आप की रूदाद नहीं
रूदाद-ए-चमन सुनता हूँ इस तरह क़फ़स मेंजैसे कभी आँखों से गुलिस्ताँ नहीं देखा
रूदाद-ए-शब-ए-ग़म यूँ डरता हूँ सुनाने सेमहफ़िल में कहीं उन की सूरत न उतर जाए
यूँ बाग़बाँ ने मोहर लगा दी ज़बान पररूदाद-ए-ग़म नसीब के मारे न कह सके
मिरी क़िंदील-ए-जाँ जलती है शब भरज़रा अपनी भी तो रूदाद-ए-शब लिख
सिर्फ़ मैं अपनी कहानी ही नहींसुन मुझे तेरी भी रूदाद हूँ मैं
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