aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سب_کو"
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आताकिसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
सब को निशाना करते करतेख़ुद को मार गिराया हम ने
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब कोमर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
सब को मारा 'जिगर' के शेरों नेऔर 'जिगर' को शराब ने मारा
हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देताहर किसी की नज़र नहीं होती
आता है यहाँ सब को बुलंदी से गिरानावो लोग कहाँ हैं कि जो गिरतों को उठाएँ
मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब कोबाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रक्खा है
सब को क़ुदरत थी ख़ुश-कलामी परख़ामुशी में ज़बाँ-दराज़ था मैं
सब को दिखलाता है वो छोटा बना कर मुझ कोमुझ को वो मेरे बराबर नहीं होने देता
सब को दिल का राज़ बताना ठीक नहींदुनिया-दारी दुनिया-दारी होती है
मिलेगी आख़िरी ख़ाने में मौत ही सब कोबिसात-ए-दहर पे पैदल हो या हो फिर वो सवार
सब को काँटों पे शक हुआ था मगरज़ख़्म के आस-पास फूल मिले
सब को पहुँचा के उन की मंज़िल परआप रस्ते में रह गया हूँ मैं
भटक के राह से हम सब को आज़मा आएफ़रेब दे गए जितने भी रहनुमा आए
मैं काटा जाऊँगा सब को 'अज़ीज़ होते हुएसड़क के बीच में आया हुआ दरख़्त हूँ मैं
शीशे के इस तरफ़ से मैं सब को तक रहा हूँमरने की भी किसी को फ़ुर्सत नहीं है मुझ में
सब को बता दिया कि मैं बेहद उदास हूँइतनी सी बात को भी ख़बर कर दिया गया
सब को दुनिया की हवस ख़्वार लिए फिरती हैकौन फिरता है ये मुर्दार लिए फिरती है
जो आए हश्र में वो सब को मारते आएजिधर निगाह फिरी चोट पर लगाई चोट
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