aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "معاملے"
दिल के मुआमले में नतीजे की फ़िक्र क्याआगे है इश्क़ जुर्म-ओ-सज़ा के मक़ाम से
दिल के मुआमले में मुझे दख़्ल कुछ नहींइस के मिज़ाज में जिधर आए उधर रहे
हुस्न-ए-अमल पे अपने न भूल इस क़दर कि शैख़वाँ के मुआ'मले से किसी को ख़बर नहीं
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हमकहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
खुलता किसी पे क्यूँ मिरे दिल का मोआमलाशेरों के इंतिख़ाब ने रुस्वा किया मुझे
उस से हर-दम मोआ'मला है मगरदरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं
अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबामेरा तिरा मोआ'मला इश्क़ के बस का था नहीं
गवाही कैसे टूटती मुआमला ख़ुदा का थामिरा और उस का राब्ता तो हाथ और दुआ का था
इश्क़ कर के भी खुल नहीं पायातेरा मेरा मुआमला क्या है
ऐ मिरे चारागर तिरे बस में नहीं मोआमलासूरत-ए-हाल के लिए वाक़िफ़-ए-हाल चाहिए
वा'दा मुआवज़े का न करता अगर ख़ुदाख़ैरात भी सख़ी से न मिलती फ़क़ीर को
तुझ से मिरा मुआमला होता ब-राह-ए-रास्तये इश्क़ दरमियान न होता तो ठीक था
वो जो शा'इरी का सबब हुआ वो मु'आमला भी 'अजब हुआमैं ग़ज़ल सुनाऊँ हूँ इस लिए कि ज़माना उस को भुला न दे
रंग बे-रंग हुआ डूब गईं आवाज़ेंरेत ही रेत है अब लाश उठाई जाए
मोहमल है न जानें तो, समझें तो वज़ाहत हैहै ज़ीस्त फ़क़त धोका और मौत हक़ीक़त है
फैला हुआ है जिस्म में तन्हाइयों का ज़हररग रग में जैसे सारी उदासी उतर गई
महफ़िल में उन की खुल गया दिल का मुआमलापलकों पे अश्क रह गए पीने के ब'अद भी
अब तक इसी मुअम्मे में उलझा हुआ हूँ मैंलाई है ज़िंदगी मुझे क्यूँ इस जहान तक
ख़ूँ का सैलाब था जो सर से अभी गुज़रा हैबाम-ओ-दर अब भी सिसकते हैं मगर घर चुप हैं
चोट खाए हुए लम्हों का सितम है कि उसेरूह के चेहरे पे दिखते हैं मुहाँसे कितने
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