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शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
शेर
मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका
अल्लामा इक़बाल
शेर
जहाँ गुलशन वहाँ गुल है जहाँ गुल है वहाँ बू है
जहाँ उल्फ़त वहाँ मैं हूँ जहाँ मैं हूँ वहाँ तू है