aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "وہسکی"
मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैंमैं आदमी हूँ मिरा ए'तिबार मत करना
अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँगुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं
बदल गया है ज़माना बदल गई दुनियान अब वो मैं हूँ मिरी जाँ न अब वो तू तू है
बड़े वसूक़ से दुनिया फ़रेब देती रहीबड़े ख़ुलूस से हम ए'तिबार करते रहे
अजीब बात है दिन भर के एहतिमाम के बा'दचराग़ एक भी रौशन हुआ न शाम के बा'द
'शौकत' हमारे साथ बड़ा हादिसा हुआहम रह गए हमारा ज़माना चला गया
तेज़ इतना ही अगर चलना है तन्हा जाओ तुमबात पूरी भी न होगी और घर आ जाएगा
हर शख़्स को गुमान कि मंज़िल नहीं है दूरये तो बताइए कि पता किस के पास है
वक़्त बे-वक़्त झलकता है मिरी सूरत सेकौन चेहरा मिरी तश्कील में आया हुआ है
इंतिहाई हसीन लगती हैजब वो करती है रूठ कर बातें
अजीब शोर मचाने लगे हैं सन्नाटेये किस तरह की ख़मोशी हर इक सदा में है
अब यही सोचते रहते हैं बिछड़ कर तुझ सेशायद ऐसे नहीं होता अगर ऐसा करते
तिरी ज़मीन पे करता रहा हूँ मज़दूरीहै सूखने को पसीना मुआवज़ा है कहाँ
ग़लत-रवी को तिरी मैं ग़लत समझता हूँये बेवफ़ाई भी शामिल मिरी वफ़ा में है
लोग कहते हैं कि वो शख़्स है ख़ुशबू जैसासाथ शायद उसे ले आए हवा देखते हैं
तुम्हारे साथ मिरे मुख़्तलिफ़ मरासिम हैंमिरी वफ़ा पे कभी इन्हिसार मत करना
ये हम-सफ़र तो सभी अजनबी से लगते हैंमैं जिस के साथ चला था वो क़ाफ़िला है कहाँ
नहीं वो शम-ए-मोहब्बत रही तो फिर 'आसिम'ये किस दुआ से मिरे घर में रौशनी सी है
रविश रविश पे चमन के बुझे बुझे मंज़रये कह रहे हैं यहाँ से बहार गुज़री है
सीखा न दुआओं में क़नाअत का सलीक़ावो माँग रहा हूँ जो मुक़द्दर में नहीं है
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