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शेर
वही है इख़्तिलाफ़-ए-बाहमी की अंजुमन अब तो
फ़क़त शादी के दिन उस ने मिलाई हाँ में हाँ मेरी
मोहम्मद ताहा खान
शेर
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
अभी तो हुज्जत-ए-बाहम है रहगुज़र के लिए
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
शेर
एक दिल पत्थर बने और एक दिल बन जाए मोम
आख़िर इतना फ़र्क़ क्यूँ तक़्सीम-ए-आब-ओ-गिल में है
आरज़ू लखनवी
शेर
'अदम' रोज़-ए-अजल जब क़िस्मतें तक़्सीम होती थीं
मुक़द्दर की जगह मैं साग़र-ओ-मीना उठा लाया
अब्दुल हमीद अदम
शेर
देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि जो उस ने कहा
मैं ने ये जाना कि गोया ये भी मेरे दिल में है
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
हम और फ़रहाद बहर-ए-इश्क़ में बाहम ही कूदे थे
जो उस के सर से गुज़रा आब मेरी ता-कमर आया