aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "तर्क-ए-मरासिम"
किया न तर्क-ए-मरासिम पे एहतिजाज उस नेकि जैसे गुज़रे किसी मंज़िल-ए-नजात से वो
इक आदमी से तर्क-ए-मरासिम के बा'द अबक्या उस गली से कोई गुज़रना भी छोड़ दे
हम को पहले भी न मिलने की शिकायत कब थीअब जो है तर्क-ए-मरासिम का बहाना हम से
अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-तअल्लुक़ कर लो पर इक बात कहेंकल तुम इन को याद करोगे कल तुम इन्हें पुकारोगे
इक लफ़्ज़ याद था मुझे तर्क-ए-वफ़ा मगरभूला हुआ हूँ ठोकरें खाने के बअ'द भी
इस शहर का दस्तूर है रिश्तों का भुलानातज्दीद-ए-मरासिम के लिए हाथ न बाँधूँ
तर्क-ए-जाम-ओ-सुबू न कर पाएइस लिए हम वज़ू न कर पाए
पहुँचाया ता-ब-काबा-ए-मक़्सूद फ़क़्र नेतर्क-ए-लिबास-ए-जामा-ए-एहराम हो गया
मजाल-ए-तर्क-ए-मोहब्बत न एक बार हुईख़याल-ए-तर्क-ए-मोहब्बत तो बार बार किया
तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दियाकिस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना करे कोई
ये बात तर्क-ए-तअल्लुक़ के बाद हम समझेकिसी से तर्क-ए-तअल्लुक़ भी इक तअल्लुक़ है
हिम्मत-ए-तर्क-ए-वफ़ा डूब गईकिस ने आँखों में उतारा दरिया
बहुत कतरा रहे हू मुग़्बचों सेगुनाह-ए-तर्क-ए-बादा कर लिया क्या
हज़ार बार किया अज़्म-ए-तर्क-ए-नज़्ज़ाराहज़ार बार मगर देखना पड़ा मुझ को
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहींबाइस-ए-तर्क-ए-मुलाक़ात बताते भी नहीं
बाइस-ए-तर्क-ए-मुलाक़ात बताओ तो सहीचाहने वाला कोई हम सा दिखाओ तो सही
आसान नहीं मरहला-ए-तर्क-ए-वफ़ा भीमुद्दत हुई हम इस को भुलाने में लगे हैं
जवाज़-ए-तर्क-ए-ताल्लुक़ बजा सही लेकिनलहू में डूब गए कितने साल किस से कहूँ
बाद-ए-तर्क-ए-आरज़ू बैठा हूँ कैसा मुतमइनहो गई आसाँ हर इक मुश्किल ब-आसानी मिरी
वो मुझे मश्वरा-ए-तर्क-ए-वफ़ा देते थेये मोहब्बत की अदा है मुझे मालूम न था
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books