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शेर
अँधेरी शब का ये ख़्वाब-मंज़र मुझे उजालों से भर रहा है
तो रात इतनी तवील कर दे कि ता-क़यामत सहर न आए
अलीना इतरत
शेर
आल-ए-अहमद सुरूर
शेर
तसव्वुर में भी अब वो बे-नक़ाब आते नहीं मुझ तक
क़यामत आ चुकी है लोग कहते हैं शबाब आया