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शेर
हनीफ़ अख़गर
शेर
तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश
हज़ार तरह के क़िस्से सफ़र में होते हैं
अज़ीज़ हामिद मदनी
शेर
मिरे पास ऐसा तिलिस्म है जो कई ज़मानों का इस्म है
उसे जब भी सोचा बुला लिया उसे जो भी चाहा बना दिया
मुनीर नियाज़ी
शेर
तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता
मिरी जब आँख खुलती है मैं बिस्तर पर नहीं होता
अब्बास ताबिश
शेर
ये भी इक धोका था नैरंग-ए-तिलिस्म-ए-अक़्ल का
अपनी हस्ती पर भी हस्ती का हुआ धोका मुझे
हफ़ीज़ जालंधरी
शेर
जल्द ख़ू अपनी बदल वर्ना कोई कर के तिलिस्म
आ के दिल अपना तिरे दिल से बदल जाऊँगा
जुरअत क़लंदर बख़्श
शेर
तेरी ही ज़ात से तो है वाबस्ता ये तिलिस्म
हम होवें फिर कहाँ के अगर हम में तू न हो