aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सफ़ाई"
आप से हम को रंज ही कैसामुस्कुरा दीजिए सफ़ाई से
क़ातिल ने किस सफ़ाई से धोई है आस्तींउस को ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है
ग़ज़ब है कि दिल में तो रक्खो कुदूरतकरो मुँह पे हम से सफ़ाई की बातें
मंदिर भी साफ़ हम ने किए मस्जिदें भी पाकमुश्किल ये है कि दिल की सफ़ाई न हो सकी
ख़ूब मिल कर गले से रो लेनाइस से दिल की सफ़ाई होती है
उस को भी किसी तरह भरोसा नहीं थामैं ने भी किसी तौर सफ़ाई नहीं दी
सामने तारीफ़ ग़ीबत में गिलाआप के दिल की सफ़ाई देख ली
तुम्हारे दिल से कुदूरत मिटाए तो जानेंखुला है शहर में इक महकमा सफ़ाई का
दिल का आईना हुआ जाता है धुँदला धुँदलाकब तिरा अक्स इसे अपनी सफ़ाई देगा
उन के दिल की कुदूरत और बढ़ीज़िक्र कीजिए अगर सफ़ाई का
मशग़ूल हैं सफ़ाई-ओ-तौसी-ए-दिल में हमतंगी न इस मकान में हो मेहमान को
न सुर्ख़ी ग़ुंचा-ए-गुल में तिरे दहन की सीन यासमन में सफ़ाई तिरे बदन की सी
सफ़ाई देर में क़ातिल से होगीये आसानी बड़ी मुश्किल से होगी
'अजब सफ़ाई है उस कूज़ा-गर के हाथों मेंशिकस्ता शय भी सलामत दिखाई देती है
बुलबुल ग़ज़ल-सराई आगे हमारे मत करसब हम से सीखते हैं अंदाज़ गुफ़्तुगू का
इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई हैहम आज बहुत सरशार सही पर अगला मोड़ जुदाई है
सिदक़-ओ-सफ़ा-ए-क़ल्ब से महरूम है हयातकरते हैं बंदगी भी जहन्नम के डर से हम
चर्ख़ को कब ये सलीक़ा है सितमगारी मेंकोई माशूक़ है इस पर्दा-ए-ज़ंगारी में
कल जहाँ दीवार थी है आज इक दर देखिएक्या समाई थी भला दीवाने के सर देखिए
कौन सुनता है यहाँ पस्त-सदाई इतनीतुम अगर चीख़ के बोलो तो असर भी होगा
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