aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सवारों"
आइने पर कोई तोहमत न धरोख़ाल-ओ-ख़द अपने सँवारो साहब
माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाएसौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'होंट अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है
ये खुले खुले से गेसू इन्हें लाख तू सँवारेमिरे हाथ से सँवरते तो कुछ और बात होती
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँकब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव परतोहमत तराशते हैं हवा के दबाव पर
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखाहम जवाब क्या देते खो गए सवालों में
देख लेते जो मिरे दिल की परेशानी कोआप बैठे हुए ज़ुल्फ़ें न सँवारा करते
जब वफ़ा ही नहीं ज़माने मेंइश्क़ सर पर सवार कौन करे
रात है चाँद है सितारे हैंबे-सहारों के सौ सहारे हैं
अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्नहम को ख़िज़ाँ ने तुम को सँवारा बहार ने
इस बार उस की आँखों में इतने सवाल थेमैं भी सवाल बन के सवालों में रह गया
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों कोदोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
बाल अपने उस परी-रू ने सँवारे रात भरसाँप लोटे सैकड़ों दिल पर हमारे रात भर
अबरू न सँवारा करो कट जाएगी उँगलीनादान हो तलवार से खेला नहीं करते
तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सभी कुछ मिल जाएसौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
एक ज़रा सी भूल पे हम को इतना तू बदनाम न करहम ने अपने घाव छुपा कर तेरे काज सँवारे हैं
तुम को आशुफ़्ता-मिज़ाजों की ख़बर से क्या कामतुम सँवारा करो बैठे हुए गेसू अपने
इस से बेहतर जवाब क्या होगाखो गया वो मिरे सवालों में
कई जवाबों से अच्छी है ख़ामुशी मेरीन जाने कितने सवालों की आबरू रक्खे
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