aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सिफ़्र"
अब कहाँ जाएँगे ऐ दिल्ली तुझे हम छोड़ करतेरी ख़ातिर सब गली कूचों का दिल तोड़ आए हैं
कानों में गूँजती है वो आवाज़ दम-ब-दमइक हाथ रह गया है कहीं हाथ छोड़ कर
कहते हैं ऐसे वक़्त में वाजिब है झूट भीतू झूट कोई बोल कि दिल फिर से जी उठे
ये सारे ज़ख़्मी गूँगे हैंये सारी दुनिया अंधी है
शमशीर ब-कफ़ हूँ न कोई जिस्म में जुंबिशमैं किस के मुक़ाबिल हूँ कि मारा नहीं जाता
नश्शा-ए-होश चढ़ा जाता है रफ़्ता रफ़्ताज़िंदगी फिर से हुई जाती है मुबहम मुबहम
दिल-ज़मीनें 'इश्क़ के मौसम में ख़ाली हो गईंउग रही हैं उन पे अब बे-मौसमी तन्हाइयाँ
चाक पे रक्खी है ये दुनियाकूज़ा-गर बेहोश पड़ा है
कोई नहीं जो उँगलियों से दर्द खींचताअपना ही हाथ फेर लिया सर पे बारहा
हम राही इकलौते थे और वक़्त की पीठ पे बैठे थेदिन निकले तक मंज़िल पा ली शाम तलक रुख़ मोड़ लिया
अब तो वहाँ हैं जिस का बयाँ भी है ला-वजूदसदमों पे हाए हाए करे अब वो दिल कहाँ
शौक़ में पहनी थी बस ज़ंजीर क्या मा'लूम थाबेड़ियों की शक्ल ले लेगी ये नागिन एक दिन
हवा है आसमाँ है आग है पानी है मिट्टी हैनुक़ूश-ए-यार गर होते तो मैं दुनिया बना लेता
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करोतुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगाहमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगीदेखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हाक़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाएवर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गईहम न सोए रात थक कर सो गई
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