aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ayzu"
न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सहीनहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिनदो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
आरज़ू है कि तू यहाँ आएऔर फिर उम्र भर न जाए कहीं
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाएबहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं
मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुदउन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई
तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभीकुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानीझूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ उफ़अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा
आरज़ू तेरी बरक़रार रहेदिल का क्या है रहा रहा न रहा
यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिलाकिसी को हम न मिले और हम को तू न मिला
मरते हैं आरज़ू में मरने कीमौत आती है पर नहीं आती
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदमविसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये थामुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगेजिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने सेचमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्नाथी आरज़ू कि तिरे दर पे सुब्ह ओ शाम करें
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसूइक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करेंदुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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