आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "KHudaa-e-saut-o-sadaa"
शेर के संबंधित परिणाम "KHudaa-e-saut-o-sadaa"
शेर
वो सुन रहा है मिरी बे-ज़बानियों की ज़बाँ
जो हर्फ़-ओ-सौत-ओ-सदा-ओ-ज़बाँ से पहले था
अकबर अली खान अर्शी जादह
शेर
क्यूँ उजाड़ा ज़ाहिदो बुत-ख़ाना-ए-आबाद को
मस्जिदें काफ़ी न होतीं क्या ख़ुदा की याद को
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
हवा में जब उड़ा पर्दा तो इक बिजली सी कौंदी थी
ख़ुदा जाने तुम्हारा परतव-ए-रुख़्सार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
चटक में ग़ुंचे की वो सौत-ए-जाँ-फ़ज़ा तो नहीं
सुनी है पहले भी आवाज़ ये कहीं मैं ने