aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "Mukammal"
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलताकहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं हैजैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाबचंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं
घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगाग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ परछत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो
जिसे कहते हो तुम इक क़तरा-ए-अश्कमिरे दिल की मुकम्मल दास्ताँ है
मोहब्बत, हिज्र, नफ़रत मिल चुकी हैमैं तक़रीबन मुकम्मल हो चुका हूँ
जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगीतिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में
अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता हैअब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान हैमाथे पे उस के चोट का गहरा निशान है
रह गई है कुछ कमी तो क्या शिकायत है 'फहीम'इस जहाँ में सब अधूरे हैं मुकम्मल कौन है
अभी बाक़ी है बिछड़ना उस सेना-मुकम्मल ये कहानी है अभी
कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं होने पातीधूप देते हैं तो साया नहीं रहने देते
सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होतेसुना है इश्क़ ख़ता है सो कर के देखते हैं
तमाम शहर की आँखों में रेज़ा रेज़ा हूँकिसी भी आँख से उठता नहीं मुकम्मल मैं
हम ने माना कि नहीं होती मुकम्मल तस्कींख़त को भी आधी मुलाक़ात कहा जाता है
हुस्न-ए-बहार मुझ को मुकम्मल नहीं लगामैं ने तराश ली है ख़िज़ाँ अपने हाथ से
तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाएमुंतज़िर दिल की मुनाजात मुकम्मल हो जाए
हर्फ़ को लफ़्ज़ न कर लफ़्ज़ को इज़हार न देकोई तस्वीर मुकम्मल न बना उस के लिए
अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दोमैं कि सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल कर दो
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