aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ain-Gain"
आ गई याद शाम ढलते हीबुझ गया दिल चराग़ जलते ही
मुझे रास वीरानियाँ आ गई हैंतिरी याद भी अब सताती नहीं है
रात की सरहद यक़ीनन आ गईजिस्म से साया जुदा होने लगा
सरक कर आ गईं ज़ुल्फ़ें जो इन मख़मूर आँखों तकमैं ये समझा कि मय-ख़ाने पे बदली छाई जाती है
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने सेकभी गोया किसी में थी ही नहीं
एक काफ़िर पर तबीअत आ गईपारसाई पर भी आफ़त आ गई
मुझे अय्यारियाँ सब आ गई हैंमैं अब तेरे नगर का हो गया हूँ
सोहबत-ए-ग़ैर से बचिए बचिएदेखिए देखिए रुस्वाई है
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनीवगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
शायद तुम्हारी याद मिरे पास आ गईया है मिरे ही दिल की सदा सोचना पड़ा
कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर होदो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो
पा कर भी तो नींद उड़ गई थीखो कर भी तो रत-जगे मिले हैं
लिबास-ए-ग़ैर पे उँगली उठाने से पहलेगिरेबाँ अपनी नज़र में रहे तो अच्छा है
ले शब-ए-वस्ल-ए-ग़ैर भी काटीतू मुझे आज़माएगा कब तक
सारी गवाहियाँ तो मिरे हक़ में आ गईंलेकिन मिरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था
ये सन कर मेरी नींदें उड़ गई हैंकोई मेरा भी सपना देखता है
सभों की आ गई पीरी जो तुम जवान हुएज़मीं का दिल हुआ मिट्टी ख़म आसमान हुए
आ गई है तिरे बीमार के मुँह पर रौनक़जान क्या जिस्म से निकली कोई अरमाँ निकला
ताकि इबरत करें और ग़ैर न देखें तुझ कोजी में आता है निकलवाइए दो-चार की आँख
शहर के पक्के मकानों में दरारें आ गईंगाँव के कच्चे घरों की नींव पक्की थी बहुत
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