aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "anaa"
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
किस लिए देखती हो आईनातुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिरचलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
आइना देख कर तसल्ली हुईहम को इस घर में जानता है कोई
आइना देख के कहते हैं सँवरने वालेआज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसेऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे
हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँआख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल मेंइक आईना था टूट गया देख-भाल में
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गएसाहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था
ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेराऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा
गुल हो महताब हो आईना हो ख़ुर्शीद हो मीरअपना महबूब वही है जो अदा रखता हो
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम मेंआईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है
कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों मेंये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिएसामने आइना रख लिया कीजिए
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्ततिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
उसे क्यूँ हम ने दिया दिल जो है बे-मेहरी में कामिल जिसे आदत है जफ़ा कीजिसे चिढ़ मेहर-ओ-वफ़ा की जिसे आता नहीं आना ग़म-ओ-हसरत का मिटाना जो सितम में है यगाना
थक गया मैं करते करते याद तुझ कोअब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
मिरी जगह कोई आईना रख लिया होतान जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या
हारने में इक अना की बात थीजीत जाने में ख़सारा और है
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