aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "antar"
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँअब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँकितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिनतूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैंइतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगामैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ मेंजो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
तमाम रात नहाया था शहर बारिश मेंवो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले थावो मुझ से इंतिहाई ख़ुश ख़फ़ा होने से पहले था
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनियाघर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
ख़ामुशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिएये तमाशा अब सर-ए-बाज़ार होना चाहिए
इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगहख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह
बुरा बुरे के अलावा भला भी होता हैहर आदमी में कोई दूसरा भी होता है
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँवीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदरआदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं थाक़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैंख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझेमिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books