aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "avaam"
शेर मेरे हैं गो ख़वास-पसंदपर मुझे गुफ़्तुगू अवाम से है
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुएअवाम थकने लगे तालियाँ बजाते हुए
क्या ग़म अगर यज़ीद रहा इक़्तिदार मेंपरचम तो फिर हुसैन का मीर-ए-अवाम है
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाममुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाएवर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरतहम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहींदोस्तों की मेहरबानी चाहिए
थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करतेकुछ और थक गया हूँ आराम करते करते
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न काक्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम
दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुईलेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया
देखने के लिए सारा आलम भी कमचाहने के लिए एक चेहरा बहुत
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं
होगा किसी दीवार के साए में पड़ा 'मीर'क्या रब्त मोहब्बत से उस आराम-तलब को
वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँहाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़मुझ को आदत है मुस्कुराने की
हाथ रख कर जो वो पूछे दिल-ए-बेताब का हालहो भी आराम तो कह दूँ मुझे आराम नहीं
मैं मय-कदे की राह से हो कर निकल गयावर्ना सफ़र हयात का काफ़ी तवील था
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न होमुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो
बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनीडूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया
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