aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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ग़म-ए-जहाँ हो रुख़-ए-यार हो कि दस्त-ए-अदूसुलूक जिस से किया हम ने आशिक़ाना किया
सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैंहम लोग सुर्ख़-रू हैं कि मंज़िल से आए हैं
ज़ेर-ए-लब है अभी तबस्सुम-ए-दोस्तमुंतशिर जल्वा-ए-बहार नहीं
जो नफ़स था ख़ार-ए-गुलू बना जो उठे थे हाथ लहू हुएवो नशात-ए-आह-ए-सहर गई वो वक़ार-ए-दस्त-ए-दुआ गया
चमन पे ग़ारत-ए-गुल-चीं से जाने क्या गुज़रीक़फ़स से आज सबा बे-क़रार गुज़री है
'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िलहम जहाँ पहुँचे कामयाब आए
हाँ नुक्ता-वरो लाओ लब-ओ-दिल की गवाहीहाँ नग़्मागरो साज़-ए-सदा क्यूँ नहीं देते
गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़ारा का असर तो देखोगुल खिले जाते हैं वो साया-ए-तर तो देखो
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