aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "family"
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना हैसिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलतेन जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया
मुझ में सात समुंदर शोर मचाते हैंएक ख़याल ने दहशत फैला रक्खी है
इक बूँद ज़हर के लिए फैला रहे हो हाथदेखो कभी ख़ुद अपने बदन को निचोड़ के
एक बोसा होंट पर फैला तबस्सुम बन गयाजो हरारत थी मिरी उस के बदन में आ गई
उस की आँखों में भी काजल फैल रहा हैमैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूँ
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिएचारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
कुछ लोग तो ख़िलाफ़ हों हासिद कोई तो होक्या लुत्फ़ सीधी सादी मोहब्बत में आएगा
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई कीउस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
हम्माम के आईने में शब डूब रही थीसिगरेट से नए दिन का धुआँ फैल रहा था
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
नूर-ए-बदन से फैली अंधेरे में चाँदनीकपड़े जो उस ने शब को उतारे पलंग पर
ख़मोशी झाँकती है खिड़कियों सेगली में शोर सा फैला हुआ है
ज़िंदगी हो तो कई काम निकल आते हैंयाद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे
तमाम-शहर में किस तरह चाँदनी फैलीकि माहताब तो कल रात मेरे घर में था
अपनी बुलंदियों से गिरूँ भी तो किस तरहफैली हुई फ़ज़ाओं में बिखरा हुआ हूँ मैं
रौशनी फैली तो सब का रंग काला हो गयाकुछ दिए ऐसे जले हर-सू अंधेरा हो गया
धूप साए की तरह फैल गईइन दरख़्तों की दुआ लेने से
मैं इतनी रौशनी फैला चुका हूँकि बुझ भी जाऊँ तो अब ग़म नहीं है
फ़सील-ए-जिस्म पे ताज़ा लहू के छींटे हैंहुदूद-ए-वक़्त से आगे निकल गया है कोई
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