aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "faqat"
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो हैक्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल कान हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदमविसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती हैजीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है
चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्तफ़क़त गुलों से ही गुलशन की आबरू तो नहीं
मैं ने माँगी थी उजाले की फ़क़त एक किरनतुम से ये किस ने कहा आग लगा दी जाए
हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिलऐ ज़िंदगी वगर्ना ज़माने में क्या न था
शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती हैउम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैंकुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं
यूँ चार दिन की बहारों के क़र्ज़ उतारे गएतुम्हारे बअ'द के मौसम फ़क़त गुज़ारे गए
क़ासिद पयाम-ए-शौक़ को देना बहुत न तूलकहना फ़क़त ये उन से कि आँखें तरस गईं
देखूँ तिरे हाथों को तो लगता है तिरे हाथमंदिर में फ़क़त दीप जलाने के लिए हैं
सीरत न हो तो आरिज़-ओ-रुख़्सार सब ग़लतख़ुशबू उड़ी तो फूल फ़क़त रंग रह गया
फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँमिरे अंदर का इंसाँ तक ख़फ़ा है इंतिहा है
मैं अब हर शख़्स से उक्ता चुका हूँफ़क़त कुछ दोस्त हैं और दोस्त भी क्या
रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल हैमैं फ़क़त रूह नहीं हूँ मुझे हल्का न समझ
मोहब्बतें तो फ़क़त इंतिहाएँ माँगती हैंमोहब्बतों में भला ए'तिदाल क्या करना
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जातामैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ
ख़राबी हो रही है तो फ़क़त मुझ में ही सारीमिरे चारों तरफ़ तो ख़ूब अच्छा हो रहा है
हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छीन उन की दोस्ती अच्छी न उन की दुश्मनी अच्छी
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