aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "halvaa"
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दियाजब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भीदिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँमैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत परफिर उम्र भर हवा से मिरी दुश्मनी रही
कहीं ज़मीं से तअल्लुक़ न ख़त्म हो जाएबहुत न ख़ुद को हवा में उछालिए साहिब
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हमजो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी
इन चराग़ों में तेल ही कम थाक्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे
यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता हैहवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है
हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थीहमीं को शम्अ जलाने का हौसला न हुआ
चराग़ घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर काहवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती
जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िरये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियोऔर कहियो कि कोई याद किया करता है
वक़्त किस तेज़ी से गुज़रा रोज़-मर्रा में 'मुनीर'आज कल होता गया और दिन हवा होते गए
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलतीचलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मिरेजिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे
कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े सेमगर सभी को शिकायत हवा से होती है
पड़ी रहने दो इंसानों की लाशेंज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव परतोहमत तराशते हैं हवा के दबाव पर
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभीहवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है
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