aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hijr"
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त होमैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
आई होगी किसी को हिज्र में मौतमुझ को तो नींद भी नहीं आती
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वालेरात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँफिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते
बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूमजो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता हैअब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँहैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ
मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारेमिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना
कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसालअभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार कीआख़िर तो दुश्मनी है असर को दुआ के साथ
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर होइस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो
हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकारइक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझेवर्ना हर चीज़ आरज़ी है मुझे
उस हिज्र पे तोहमत कि जिसे वस्ल की ज़िद होउस दर्द पे ला'नत की जो अशआ'र में आ जाए
मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी थाहम ने तो एक बात की उस ने कमाल कर दिया
'मुनीर' अच्छा नहीं लगता ये तेराकिसी के हिज्र में बीमार होना
'फ़राज़' इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थीये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है
कैसा फ़िराक़ कैसी जुदाई कहाँ का हिज्रवो जाएगा अगर तो ख़यालों में आएगा
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँवो दिन जो हम ने तिरे हिज्र में गुज़ारे थे
और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा हैइक तिरे दर्द को पहलू में छुपा रक्खा है
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