aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mela"
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा करइतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
भीड़ तन्हाइयों का मेला हैआदमी आदमी अकेला है
गो क़यामत से पेशतर न हुईतुम न आए तो क्या सहर न हुई
हर तरफ़ दोस्ती का मेला हैफिर भी हर आदमी अकेला है
सुना है शहर में ज़ख़्मी दिलों का मेला हैचलेंगे हम भी मगर पैरहन रफ़ू कर के
तुम भी करोगे जब्र शब ओ रोज़ इस क़दरहम भी करेंगे सब्र मगर इख़्तियार तक
इश्क़ की तमन्ना थी इश्क़ की तमन्ना हैइश्क़ ही की राहों में मस्तियों का मेला है
रातें ऐश-ओ-इशरत की दिन दुख दर्द मुसीबत केआती आती आती हैं जाते जाते जाते हैं
पूछो तो एक एक है तन्हा सुलग रहादेखो तो शहर शहर है मेला लगा हुआ
कहना ही मिरा क्या है कि मैं कुछ नहीं कहताये भी तुम्हें धोका है कि मैं कुछ नहीं कहता
इतनी तौहीन न कर मेरी बला-नोशी कीसाक़िया मुझ को न दे माप के पैमाने से
क़ब्र पर क्या हुआ जो मेला हैमरने वाला निरा अकेला है
आलम है तिरे परतव-ए-रुख़ से ये हमाराहैरत से हमें शम्स-ओ-क़मर देख रहे हैं
कैसी कशिश है इश्क़ के टूटे मज़ार मेंमेला लगा हुआ है हमारे दयार में
दिन जुदाई का दिया वस्ल की शब के बदलेलेने थे ऐ फ़लक-ए-पीर ये कब के बदले
जिन्हें था शौक़ मेला देखने कावो सारे लोग अपने घर गए हैं
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखनाजहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिलाअगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
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