aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ मेंहैं तल्ख़ बहुत बंदा-ए-मज़दूर के औक़ात
कितने मह-ओ-अंजुम हैं ज़िया-पाश अज़ल सेलेकिन न हुई कम दिल-ए-इंसाँ की सियाही
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाएअब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाममुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थीकुछ मुझे भी ख़राब होना था
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ उफ़अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भरपलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई कीआज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँक्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
अपने साए से चौंक जाते हैंउम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
ज़िंदगी इक आँसुओं का जाम थापी गए कुछ और कुछ छलका गए
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद मेंआईने आँखों के धुँदले हो गए
तबस्सुम की सज़ा कितनी कड़ी हैगुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है
किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखोतो ये रिश्ता निभाना किस क़दर आसान हो जाए
इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूमवस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया
ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौतआदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दरआरज़ू की आरज़ू होने लगी
जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकतेमोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है
आकाश की हसीन फ़ज़ाओं में खो गयामैं इस क़दर उड़ा कि ख़लाओं में खो गया
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