aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ra.nj-e-rah"
सुन के सारी दास्तान-ए-रंज-ओ-ग़मकह दिया उस ने कि फिर हम क्या करें
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाजउम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
उमीद का ये रंग है हुजूम-रंज-ओ-यास मेंकि जिस तरह कोई हसीं हो मातमी लिबास में
ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्रमसरूर हैं तिरी ख़लिश-ए-ना-तवाँ से हम
मैं एक पल के रंज-ए-फ़रावाँ में खो गयामुरझा गए ज़माने मिरे इंतिज़ार में
अफ़्सोस उम्र कट गई रंज-ओ-मलाल मेंदेखा न ख़्वाब में भी जो कुछ था ख़याल में
अन-गिनत ख़ूनी मसाइल की हवा ऐसी चलीरंज-ओ-ग़म की गर्द में लिपटा हर इक चेहरा मिला
सारी दुनिया के रंज-ओ-ग़म दे करमुस्कुराने की बात करते हो
यूँ सर-ए-राह मुलाक़ात हुई है अक्सरउस ने देखा भी नहीं हम ने पुकारा भी नहीं
तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दोतुम्हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूरचराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है!
राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझेआदमी बन जाऊँगा कुछ ठोकरें खाने के बाद
चालीस जाम पी के दिया एक जाम-ए-मयसाक़ी ने ख़ूब राह निकाली ज़कात की
शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न कीशुक्र है ज़िंदगी तबाह न की
न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के हुए न उधर के हुएरहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए
रंज-ओ-ग़म दर्द-ओ-अलम ज़िल्लत-ओ-रुसवाई हैहम ने ये दिल के लगाने की सज़ा पाई है
मुझे आ गया यक़ीं सा कि यही है मेरी मंज़िलसर-ए-राह जब किसी ने मुझे दफ़अतन पुकारा
ख़ुशी विसाल की अब है न रंज-ए-तन्हाईये किस मक़ाम पे मुझ को हयात ले आई
ज़माना अक़्ल को समझा हुआ है मिशअल-ए-राहकिसे ख़बर कि जुनूँ भी है साहिब-ए-इदराक
उन्हें यक़ीं कि कोई रंज-ओ-ग़म नहीं मुझ कोमुझे भरम कि मिरा मसअला समझते हैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books