aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ravaadaar"
आए ठहरे और रवाना हो गएज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है
मैं जानता हूँ मिरे बा'द ख़ूब रोएगारवाना कर तो रहा है वो हँसते हँसते मुझे
न पूछ हाल मिरा चोब-ए-ख़ुश्क-ए-सहरा हूँलगा के आग मुझे कारवाँ रवाना हुआ
कौन है जो नहीं है हाजत-मंदकिस की हाजत रवा करे कोई
दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दियाअब सारी उम्र हाथ हिलाते रहेंगे हम
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठेंतकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौनशहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
मैं इक शजर की तरह रह-गुज़र में ठहरा हूँथकन उतार के तू किस तरफ़ रवाना हुआ
कमसिन हो तुम हसीन हो तुम दिलरुबा हो तुमतुम को सितम रवा है मगर इस क़दर नहीं
शब-ए-विसाल में सुनना पड़ा फ़साना-ए-ग़ैरसमझते काश वो अपना न राज़दार मुझे
उस ने इस तरह से बदला है रवय्या अपनापूछना पड़ता है हर वक़्त तुम्हीं हो ना दोस्त
मिरा मोहताज होना तो मिरी हालत से ज़ाहिर हैमगर हाँ देखना है आप का हाजत-रवा होना
आदमी से आदमी की जब न हाजत हो रवाक्यूँ ख़ुदा ही की करे इतनी न फिर याद आदमी
हाथ ख़ाली न थे जब घर से रवाना हुआ मैंसब ने झोली में मिरी अपनी ज़रूरत रख दी
बैठा है जो कि साया-ए-दीवार-ए-यार मेंफ़रमाँ-रवा-ए-किश्वर-ए-हिन्दुस्तान है
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हमऐ रह-रवान-ए-ख़ाक-बसर पूछते चलो
समुंदर हो तो उस में डूब जाना भी रवा हैमगर दरियाओं को तो पार करना चाहिए था
कोई चराग़ मिरी सम्त भी रवाना करोबहुत दिनों से अँधेरा मिरे वजूद में है
अजीब आग लगा कर कोई रवाना हुआमिरे मकान को जलते हुए ज़माना हुआ
लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़मसअले जैसे रवाना हों किसी हल की तरफ़
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