aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sabab"
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हमतू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखेंउदास होने का कोई सबब नहीं होता
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैंतो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
वो पूछता था मिरी आँख भीगने का सबबमुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगीलोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
आज तो बे-सबब उदास है जीइश्क़ होता तो कोई बात भी थी
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोईजी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
ये आँसू बे-सबब जारी नहीं हैमुझे रोने की बीमारी नहीं है
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या हैहम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
हुई न आम जहाँ में कभी हुकूमत-ए-इश्क़सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना-साज़ नहीं
फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदायामैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थेबे-सबब हुआ 'ग़ालिब' दुश्मन आसमाँ अपना
शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलबउस की तरफ़ चल दिए जिस ने पुकारा न था
तिरे विसाल की कब आरज़ू रही दिल कोकि हम ने चाहा तुझे शौक़-ए-बे-सबब के लिए
ये उदासी का सबब पूछने वाले 'अजमल'क्या करेंगे जो उदासी का सबब बतलाया
ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँमिरी हिम्मतों की पस्ती मिरे शौक़ की बुलंदी
दिल के लुटने का सबब पूछो न सब के सामनेनाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही
वो मिरी रूह की उलझन का सबब जानता हैजिस्म की प्यास बुझाने पे भी राज़ी निकला
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