aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sad-afsos"
तू हम से है बद-गुमाँ सद अफ़्सोसतेरे ही तो जाँ-निसार हैं हम
सब के जैसी न बना ज़ुल्फ़ कि हम सादा-निगाहतेरे धोके में किसी और के शाने लग जाएँ
मैं सदा दे के उसे रोक न पाया अफ़सोसकाश आवाज़ को ज़ंजीर किया जा सकता
सर सलामत लिए लौट आए गली से उस कीयार ने हम को कोई ढंग की ख़िदमत नहीं दी
बस लहू की बूँद थी एहसास मेंफिर उगाया दश्त ने इक सर नया
किस एहसास-ए-जुर्म की सब करते हैं तवक़्क़ोइक किरदार किया था जिस में क़ातिल था मैं
रानाई-ए-बहार पे थे सब फ़रेफ़्ताअफ़सोस कोई महरम-ए-राज़-ए-ख़िज़ाँ न था
थक के यूँ पिछले पहर सौ गया मेरा एहसासरात भर शहर में आवारा फिरा हो जैसे
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी हैशहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है
तिरे ख़याल से रौशन है सर-ज़मीन-ए-सुख़नकि जैसे ज़ीनत-ए-शब हो मह-ए-तमाम के साथ
ये बे-कनार बदन कौन पार कर पायाबहे चले गए सब लोग इस रवानी में
बस एक लम्स कि जल जाएँ सब ख़स-ओ-ख़ाशाकइसे विसाल भी कहते हैं ख़ुश-बयानी में
हर सदा से बच के वो एहसास-ए-तन्हाई में हैअपने ही दीवार-ओ-दर में गूँजता रह जाएगा
बस मोहब्बत बस मोहब्बत बस मोहब्बत जान-ए-मनबाक़ी सब जज़्बात का इज़हार कम कर दीजिए
मिरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैंये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथकाट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ
बुझती आँखों में सुलगते हुए एहसास की लौएक शो'ला सा चमकता पस-ए-शबनम देखा
बड़ा वसीअ है उस के जमाल का मंज़रवो आईने में तो बस मुख़्तसर सा रहता है
रेज़ा रेज़ा कर दिया जिस ने मिरे एहसास कोकिस क़दर हैरान है वो मुझ को यकजा देख कर
मेरे हर मिस्रे पे उस ने वस्ल का मिस्रा लगायासब अधूरे शेर शब भर में मुकम्मल हो गए थे
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