aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samaa.e"
कुछ सितारे मिरी पलकों पे चमकते हैं अभीकुछ सितारे मिरे सीने में समाए हुए हैं
वक़्त इक ज़र्ब लगाए तो ग़ज़ल होती हैदर्द अगर दिल में समाए तो ग़ज़ल होती है
पहाड़ काटने वाले ज़मीं से हार गएइसी ज़मीन में दरिया समाए हैं क्या क्या
नियाज़ ओ नाज़ के झगड़े मिटाए जाते हैंहम उन में और वो हम में समाए जाते हैं
निगाह-ए-शौक़ ने महशर में साफ़ ताड़ लियाकहाँ वो छुपते कि आँखों में थे समाए हुए
आप को आप में नहीं पाताजी में याँ तक मिरे समाए हो
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगाआसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरातिरे सामने आसमाँ और भी हैं
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न थासामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहींसामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैंजिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँरोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
वो चेहरा किताबी रहा सामनेबड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरायाद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैंसाफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
बात तक करनी न आती थी तुम्हेंये हमारे सामने की बात है
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम हैरहे सामने और दिखाई न दे
अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँजो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते हैं
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिएसामने आइना रख लिया कीजिए
कल सामने मंज़िल थी पीछे मिरी आवाज़ेंचलता तो बिछड़ जाता रुकता तो सफ़र जाता
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