aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shakar"
शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारीहोती है जिस के बोले मीठी ज़बाँ हमारी
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौनशहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगामसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँदो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
गुड़ सीं मीठा है बोसा तुझ लब काइस जलेबी में क़ंद ओ शक्कर है
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
इतने घने बादल के पीछेकितना तन्हा होगा चाँद
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भीदिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस नेबात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दियाइश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आएऔर कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहींअब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शयनशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ थारूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
वादा-ए-वस्ल दिया ईद की शब हम को सनमऔर तुम जा के हुए शीर-ओ-शकर और कहीं
वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गयाबराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैंदेखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँछूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
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