aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taktaa"
यूँ जो तकता है आसमान को तूकोई रहता है आसमान में क्या
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने कोकितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
लाशों में एक लाश मिरी भी न हो कहींतकता हूँ एक एक को चादर उठा के मैं
कहना था किसू से कुछ तकता था किसू का मुँहकल 'मीर' खड़ा था याँ सच है कि दिवाना था
खुली आँखों से भी सोया हूँ अक्सरतुम्हारा रास्ता तकता हुआ मैं
मेरे अंदर कोई तकता रहा रस्ता उस कामैं हमेशा के लिए रह गई चिलमन बन के
ये सूरत हुई है कि आईना पहरोंमिरे मुँह को तकता है हैरान हो कर
शब पलंग पर हाँपते साए रहेख़्वाब दरवाज़े खड़ा तकता रहा
चार दीवारें तमाशा देखती हैं रोज़ रातनाचती है ज़िंदगी और ताकता रहता हूँ मैं
एक सफ़र वो है जिस मेंपाँव नहीं दिल थकता है
मुझ को तो कोई टोकता भी नहींयही होता है ख़ानदान में क्या
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैंसहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
जब सफ़ीना मौज से टकरा गयानाख़ुदा को भी ख़ुदा याद आ गया
टकरा गया वो मुझ से किताबें लिए हुएफिर मेरा दिल और उस की किताबें बिखर गईं
कोई कमरे में आग तापता होकोई बारिश में भीगता रह जाए
छत की कड़ियों से उतरते हैं मिरे ख़्वाब मगरमेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं
किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिलबहाने से मुझे भी टालता है
हर वक़्त खिलते फूल की जानिब तका न करमुरझा के पत्तियों को बिखरते हुए भी देख
'ग़ालिब' वो शख़्स था हमा-दाँ जिस के फ़ैज़ सेहम से हज़ार हेच-मदाँ नामवर हुए
मिरे डूब जाने का बाइस न पूछोकिनारे से टकरा गया था सफ़ीना
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