aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tasalsul"
अश्कों के तसलसुल ने छुपाया तन-ए-उर्यांये आब-ए-रवाँ का है नया पैरहन अपना
जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभीउन मोहब्बत की रिवायात ने दम तोड़ दिया
मैं टूटने देता नहीं रंगों का तसलसुलज़ख़्मों को हरा करता हूँ भर जाने के डर से
ज़िंदगी अज़्मत-ए-हाज़िर के बग़ैरइक तसलसुल है मगर ख़्वाबों का
ख़ुदा वजूद में है आदमी के होने सेऔर आदमी का तसलसुल ख़ुदा से क़ाएम है
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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