aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tavakkul"
ख़ुदा आख़िर करेगा ख़ुश मिरा दिलमुझे अपने तवक्कुल की क़सम है
मर्द-ए-दरवेश हूँ तकिया है तवक्कुल मेराख़र्च हर रोज़ है याँ आमद-ए-बालाई का
हम वो फ़लक हैं अहल-ए-तवक्कुल कि मिस्ल-ए-माहरखते नहीं हैं नान-ए-शबीना बरा-ए-सुब्ह
क्या दिखाता है फ़लक-ए-गर्म तू नान-ए-ख़ुर्शीदखाना खाते हैं सदा अहल-ए-तवक्कुल ठंडा
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारोहम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
जब तवक़्क़ो ही उठ गई 'ग़ालिब'क्यूँ किसी का गिला करे कोई
गुल के होने की तवक़्क़ो पे जिए बैठी हैहर कली जान को मुट्ठी में लिए बैठी है
मोहब्बत बाँटना सीखो मोहब्बत है अता रब कीमोहब्बत बाँटने वाले तवील-उल-उम्र होते हैं
मुश्किल-ए-इश्क़ में लाज़िम है तहम्मुल 'साक़िब'बात बिगड़ी हुई बनती नहीं घबराने से
बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैंकुछ ख़्वाब मिरे ऐन-जवानी में मरे हैं
किस तवक़्क़ो पे किसी को देखेंकोई तुम से भी हसीं क्या होगा
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दियादरिया समझ के कूद पड़े हम सराब में
ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो थी नहीं कुछ कम हैहर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है
हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहींआप कहते हैं तो ज़ंजीर हिला देते हैं
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असदवगरना हम तो तवक़्क़ो ज़्यादा रखते हैं
हुई जिन से तवक़्क़ो ख़स्तगी की दाद पाने कीवो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले
कुछ कह दो झूट ही कि तवक़्क़ो बंधी रहेतोड़ो न आसरा दिल-ए-उम्मीद-वार का
उन्हें तो सितम का मज़ा पड़ गया हैकहाँ का तजाहुल कहाँ का तग़ाफ़ुल
बाल-ओ-पर भी गए बहार के साथअब तवक़्क़ो नहीं रिहाई की
रफ़ाक़तों का तवाज़ुन अगर बिगड़ जाएख़मोशियों के तआवुन से घर चला लेना
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