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शेर
अदल से कर सल्तनत ऐ दिल तू तन के मुल्क में
वक़्त-ए-फ़ुर्सत बूझ ले ये हुक्मरानी फिर कहाँ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
शेर
इतनी फ़ुर्सत दे कि रुख़्सत हो लें ऐ सय्याद हम
मुद्दतों इस बाग़ के साये में थे आज़ाद हम
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
शेर
डर ख़ुदा सीं ख़ूब नईं ये वक़्त-ए-क़त्ल-ए-आम कूँ
सुब्ह कूँ खोला न कर इस ज़ुल्फ़-ए-ख़ून-आशाम कूँ
आबरू शाह मुबारक
शेर
वक़्त-ए-रवा-रवी है उठे क़ाफ़िला के लोग
साक़ी चले पियाला जहाँ तक कि बस चले
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
शेर
ब-वक़्त-ए-बोसा-ए-लब काश ये दिल कामराँ होता
ज़बाँ उस बद-ज़बाँ की मुँह में और मैं ज़बाँ होता
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शेर
ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है
हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है