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शेर
ये सच है आज भी है मुझे ज़िंदगी अज़ीज़
लेकिन जो तुम मिलो तो ये सौदा गिराँ नहीं
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
ज़िंदगी इक ख़्वाब है ये ख़्वाब की ताबीर है
हल्क़ा-ए-गेसू-ए-दुनिया पाँव की ज़ंजीर है
उबैदुल्लह सिद्दीक़ी
शेर
अगर है ज़िंदगी इक जश्न तो ना-मेहरबाँ क्यों है
फ़सुर्दा रंग में डूबी हुई हर दास्ताँ क्यों है