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ग़ज़ल
हुस्न वालों को ज़िद आ जाए ख़ुदा ये न करे
कर गुज़रते हैं जो कुछ जी में ठनी होती है
हफ़ीज़ जौनपुरी
मर्सिया
دل میں مرے ٹھنی ہوئی ہے رات سے یہ با ت
حتما یہی ہے قصد جو فضل خدا ہے سات
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
कहानी
अहसन बोले, “मगर कैसे, क्योंकर?” “मैं आपसे कई बार कह चुकी हूँ कि वो मेरी कोई बात नहीं टालेंगे।”...