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ग़ज़ल
साँवला रंग है ख़ुद उस की बहन का लेकिन
मेरा बेटा है कि वो गोरी दुल्हन चाहता है
राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
सुस्त रविश पस्त क़द साँवला हिन्दी-नज़ाद
तन भी कुछ ऐसा ही था क़द के मुआफ़िक़ अयाँ
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
हमारे साँवले कूँ देख कर जी में जली जामुन
लगा फीका सवाद उस का नहीं लगती भली जामुन
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
सोज़-ए-हिज्र-ए-कान्हा से जो साँवला था 'उज़लत' आह
दाग़दार आख़िर लगी टेसू के बिंद्राबन में आग
वली उज़लत
ग़ज़ल
सुस्त-रविश पस्त-क़द साँवला हिन्दी नज़ाद
तन भी कुछ ऐसा ही था क़द के मुआफ़िक़ अयाँ
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
रहमान मुसव्विर
ग़ज़ल
किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
बेनाम सताइश रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में
ऐसा तो कभी सोचा भी न था दिल अब जितना बेदाद हुआ
नोशी गिलानी
ग़ज़ल
ज़र्द चेहरों पर भी चमके सुर्ख़ जज़्बों की धनक
साँवले हाथों को भी रंग-ए-हिना रौशन करे
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
इस फ़ज़ा में सरसराती हैं हज़ारों बिजलियाँ
इस फ़ज़ा में कैसी कैसी सूरतें सँवला गईं