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ग़ज़ल
वो कम-सिनी की शफ़ीक़ यादें गुलाब बन कर महक उठी हैं
उदास शब की ख़मोशियों में ये कौन लोरी सुना रहा है
इक़बाल अशहर
ग़ज़ल
नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद
माँ की लोरी सा बच्चे के दूध कटोरे जैसा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
वो लोरी गाएँगी और उन में बच्चों को सुलाएँगी
मैं माओं के लिए फूलों के गहवारे बनाता हूँ
सलीम अहमद
ग़ज़ल
बाग़-ए-फ़िरदौस की लोरी मैं सुनाता कैसे?
मिरी क़िस्मत में थी आशुफ़्ता-बयानी लिक्खी
करामत अली करामत
ग़ज़ल
मिरी नानी सुनाती थी हिकायत सात परियों की
वो सच्चे प्यार की लोरी सुहानी कौन कहता है
सबीला इनाम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ग़ैरों ने कुछ ख़्वाब दिखा कर नींद चुरा ली आँखों से
लोरी दे दे हार गई जो घर आँगन की मिट्टी है
सरदार अंजुम
ग़ज़ल
बेदार-दिली के मंसूबे हम क्या क्या बाँध के आए थे
दुनिया ने थपक कर लोरी दी नींद आ ही गई सोना ही पड़ा
इज्तिबा रिज़वी
ग़ज़ल
ये नसीम ठंडी ठंडी ये हवा के सर्द झोंके
तुझे दे रहे हैं लोरी मिरे ग़म-गुसार सो जा
सुरूर जहानाबादी
ग़ज़ल
लोरी से 'एजाज़' वो अक्सर अपना जी बहलाते हैं
गीत ग़ज़ल क़ितए' और नज़्में छोटे बच्चे क्या जानें
एजाज़ अहमद एजाज़
ग़ज़ल
मैं तिरा बे-ख़्वाब बच्चा माँ बता मेरे लिए
कोई लोरी क्यूँ नहीं कोई कहानी क्यूँ नहीं