aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mahak"
इक महक सम्त-ए-दिल से आई थीमैं ये समझा तिरी सवारी है
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठीजब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
मस्त हूँ मैं महक से उस गुल कीजो किसी बाग़ में खिला ही नहीं
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों सेख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहेंदिन ढले यूँ तिरी आवाज़ बुलाती है हमें
अजब महक थी मिरे गुल तिरे शबिस्ताँ कीसो बुलबुलों के वहाँ आशियाने हो गए हैं
साँसों में घुल रही है किसी साँस की महकदामन को छू रहा है कोई हात क्या करें
जिस की ख़ुश्बू से महक जाए पड़ोसी का भी घरफूल इस क़िस्म का हर सम्त खिलाया जाए
निकला जो चाँद आई महक तेज़ सी 'मुनीर'मेरे सिवा भी बाग़ में कोई ज़रूर था
मंज़िल है उस महक की कहाँ किस चमन में हैउस का पता सफ़र में हवा ने नहीं दिया
मुझ में बसी हुई थी किसी और की महकदिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला
चमकता रहता है सूरज-मुखी में कोई औरमहक रहा है कोई और रात-रानी में
शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर मौज-ए-शमीम-ए-पैरहनतेरी महक रहेगी याँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
बस आस-पास ये सूरज है और कुछ भी नहींमहक रहा तो हूँ लेकिन मैं रेगज़ार में हूँ
न हम रहे न वो ख़्वाबों की ज़िंदगी ही रहीगुमाँ गुमाँ सी महक ख़ुद को ढूँढती ही रही
तसव्वुर में न जाने कौन आयामहक उट्ठे दर-ओ-दीवार मेरे
वो तो आ के 'मुनीर' जा भी चुकाइक महक सी है बाग़ में बाक़ी
जल उठें रूह के घाव तो छिड़क देता हूँचाँदनी में तिरी यादों की महक हल कर के
मेरे आँगन में एक पौदा हैफूल बन के महक उठेगा तू
जोड़े की शान बढ़ गई महफ़िल महक उठीलेकिन ये फूल अपने घराने से कट गया
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