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ग़ज़ल
क्या बनेगा इस जहाँ में अशरफ़-उल-मख़्लूक़ का
हर तरफ़ जब दुश्मनी ही दुश्मनी रह जाएगी
बशीर अहमद शाद
ग़ज़ल
शरफ़ है ये फ़क़त इक अशरफ़-उल-मख़्लूक़ इंसाँ का
फ़ज़ा-ए-आलम-ए-इम्काँ की हद से पार हो जाना
शोला करारवी
ग़ज़ल
हर क़दम पर सर-ब-सज्दा है फ़रिश्तों का हुजूम
अशरफ़-उल-मख़्लूक़ की पाकीज़गी को देखिए