आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "افسانہ"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "افسانہ"
ग़ज़ल
उस रोज़ जो उन को देखा है अब ख़्वाब का आलम लगता है
उस रोज़ जो उन से बात हुई वो बात भी थी अफ़साना क्या
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
आली शेर हो या अफ़्साना या चाहत का ताना बाना
लुत्फ़ अधूरा रह जाता है पूरी बात बता देने से
जलील ’आली’
ग़ज़ल
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
शब-ए-फ़ुर्क़त का जब कुछ तूल कम होना नहीं मुमकिन
तो मेरी ज़िंदगी का मुख़्तसर अफ़्साना हो जाए
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
मिरी उल्फ़त तअ'ज्जुब हो गई तौबा मआ'ज़-अल्लाह
कि मुँह से भी न निकले बात और अफ़्साना हो जाए
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
किस का किस का हाल सुनाया तू ने ऐ अफ़्साना-गो
हम ने एक तुझी को ढूँडा इस सारे अफ़्साने में
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
एक चराग़ और एक किताब और एक उमीद-ए-असासा
उस के बा'द तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
मिटते मिटते दे गए हम ज़िंदगी को रंग-ओ-नूर
रफ़्ता रफ़्ता बन गए इस अहद का अफ़्साना हम