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ग़ज़ल
न जाने ये अनोखा फ़र्क़ इस में किस तरह आया
वो अब कॉलर में फूलों की जगह बिच्छू लगाता है
राहत इंदौरी
ग़ज़ल
जब चाहा इक़रार किया है जब चाहा इंकार किया
देखो हम ने ख़ुद ही से ये कैसा अनोखा प्यार किया
मीना कुमारी नाज़
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
तिरी हम्द क्या करेंगे ये बयाँ ये लफ़्ज़-ओ-मा'नी
तिरा हुस्न भी अनोखा तिरी ज़ात भी यगाना
नाज़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
अनोखा शख़्स था उस से मिलाया हाथ जब मैं ने
लगा जैसे कि उस की उँगलियों में दिल धड़कता था