आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ان_میں"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ان_میں"
ग़ज़ल
इन में पोशीदा हैं हिकमत के ख़ज़ाने क्या क्या
कह गए बात पते की हैं सियाने क्या क्या
तबस्सुम आज़मी
ग़ज़ल
'अर्श' इस में तल्ख़ी-ए-ग़म के सिवा कुछ भी नहीं
तू किताब-ए-ज़िंदगी की सफ़्हा-गर्दानी न कर
अर्श सहबाई
ग़ज़ल
वही हैं कोई सूरत इन में बेगानी नहीं मिलती
वो चेहरे आह जिन चेहरों पे ताबानी नहीं मिलती
शौक़ असर रामपुरी
ग़ज़ल
जो उन में हो रहा है वो तमाशा भी नहीं दिखता
हुआ क्या है उन आँखों को जो इतना भी नहीं दिखता
इम्तियाज़ ख़ान
ग़ज़ल
ख़ुदा की शान है इन में अगर मेह्र-ओ-वफ़ा होती
तो फिर ये बुत जिधर होते उधर ख़ल्क़-ए-ख़ुदा होती
महमूद रामपुरी
ग़ज़ल
अब तो ये भी होने लगा है हम में उन में बात नहीं
दुनिया वाले पूछते हैं क्या पहले से हालात नहीं
ज़ाहिदुल हक़
ग़ज़ल
उन में जुरअत भी न थी जौर-ओ-जफ़ा क्या करते
ख़ुद फ़ना-दीदा थे वो हम से वफ़ा क्या करते