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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
आयतों जैसे ना-गहाँ जावेदाँ लम्स की क़सम
तेरे अछूते जिस्म का पहला मुकालिमा हूँ मैं
ज़ियाउल मुस्तफ़ा तुर्क
ग़ज़ल
जनाब अब ज़ेर-ए-आब आराम से देखें अछूते ख़्वाब
जो इन मटमैली आँखों से तो हक़ मनवा नहीं पाए
इदरीस बाबर
ग़ज़ल
रँग-बिरंगी तितलियों और जुगनुओं के वास्ते
दुख अछूते कुछ निराले काम लिखता जाऊँगा
बिस्मिल्लाह अदीम
ग़ज़ल
यूँ तो हंगामे उठाते नहीं दीवाना-ए-इश्क़
मगर ऐ दोस्त कुछ ऐसों का ठिकाना भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं