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ग़ज़ल
इस वास्ते ख़ाक-ए-परवाना पर शम्अ बहाती है आँसू
मुमकिन है वफ़ा के क़िस्से में उस का भी कहीं नाम आ जाए
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
अभी छोड़ा कहाँ तुझ को अभी क्या बात बिगड़ी है
किनारे पर खड़े हैं हम कि तुम आँसू बहाती हो
मुंतज़िर फ़िरोज़ाबादी
ग़ज़ल
ये आँसू कस्म-पुर्सी किस के मातम में बहाती है
जनाज़ा आज किस का कूचा-ए-क़ातिल से उठता है
शेर सिंह नाज़ देहलवी
ग़ज़ल
रज़ा उस की बहाती है तो पत्तों को किनारा है
मगर ख़ुद तैरता है आदमी बह कर नहीं आता
सुदेश कुमार मेहर
ग़ज़ल
बहाती है कहीं भी मौज-ए-नक़्श-ए-बोरिया ख़स को
न देगा ना-तवाँ को रंज जो साहब तहम्मुल है