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ग़ज़ल
जिन्हें मक़्सद में अपने कामयाबी हो नहीं पाती
वो जिद्द-ओ-जहद करते हैं मगर पैहम नहीं करते
मोहम्मद हाज़िम हस्सान
ग़ज़ल
रह-ए-तलब की सख़्तियों के शिकवे लब-ब-लब हुए
सुरूर-ए-जिद्द-ओ-जहद को ख़ुमार कर लिया गया
इफ़्फ़त अब्बास
ग़ज़ल
न जिद्द-ओ-जहद-ए-मुसलसल ने सोज़-ओ-साज़-ए-हयात
मिसाल-ए-शज्र ज़मीं-बोस मैं जुमूद में था
नक़्क़ाश अली बलूच
ग़ज़ल
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
पयाम फ़तेहपुरी
ग़ज़ल
क़ाइल ब-दिल हूँ तब अमल-ए-हुब का मैं कि जब
उस शोख़ से ब-जद्द-ओ-कद-ए-आमिलाँ मिलूँ
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
आ गई सदमा-ए-फ़ुर्क़त से अजल आशिक़ की
हिज्र-ए-महबूब फ़िराक़-ए-जसद-ओ-जाँ निकला
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
जो क़ल्ब-ओ-जाँ में है ख़ुश्बू किसी की ज़ुल्फ़ों की
उसी को अपनी मता-ए-जलील लिखते रहे