aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جوجھ"
हर कोई जूझ रहा है यहाँ अपने ग़म सेदर्द-ए-ग़म की ये दवा दूँ तो दवा दूँ किस को
जूझ रही है कठिन सवालों से दुनियातुम अब भी आसान लगा कर बैठे हो
जूझ रहा हूँ मैं लहरों सेनाव बंधी है नदी किनारे
जीवन नय्या जूझ रही है ज़ुल्म के बहते धारों सेहम ने क्या क्या दर्द समेटे रोज़ाना अख़बारों से
जूझ सकता हूँ ज़माने की किसी मुश्किल सेशक्तियाँ अपनी बढ़ा कर जो मैं इक-जा कर लूँ
आँखों में तेरी दीद के मंज़र लिए हुएफिरते हैं सर पे बोरिया बिस्तर लिए हुए
कल तक जो इंतिज़ार था वो भी नहीं रहाइक ही तो मेरा यार था वो भी नहीं रहा
इश्क़ पहले तो गुलाबों की तरह होता हैऔर फिर बा'द में काँटों की तरह होता है
क़ुदरत की अदालत में काँटों की शिकायत हैहर बाग़ में फूलों की फ़ितरत में रऊनत है
तुम्हारे दर्द के जैसा नहीं हैहमारे दर्द का चेहरा नहीं है
चाँदनी रात में तारों की कहानी लिक्खीजल्वा-ए-जानाँ की हर एक निशानी लिक्खी
रेत सा दिन है रात मुट्ठी भरआदमी की बिसात मुट्ठी भर
मैं भी जूझा हूँ हवा से उस कबूतर की तरहदेख वो आँधी में उड़ता एक पर मेरा भी है
न पूछ मुझ से तू कैसे कहाँ से लड़ना हैज़मीं पे रह के मुझे आसमाँ से लड़ना है
हाल बदला ही नहीं अब तक दिल-ए-दिल-गीर काकुछ सबब बतलाईएगा आप इस ताख़ीर का
ढूँढते क्या हो आसमानों मेंचाँद बिकता है अब दुकानों में
बाग़-ए-बहिश्त ज़ीस्त बना कर चला गयाजो बुझ गए चराग़ जला कर चला गया
शम' तू ये तो बता पास तिरे आने मेंजान दे देता है परवाना क्यों नज़राने में
बू-ए-गुल के मुराक़बे में हूँया'नी पहले से मैं मज़े में हूँ
गुहर ख़रीद न पाएँगे शहर भर के मुझेबहुत 'अज़ीज़ हैं ज़र्रे ये अपने घर के मुझे
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